Wednesday, January 25, 2012

Awareness against Black Magic

















This paper print is a good example of some people who earn moneys by just fooling superstitious nature of Indian People. Some Pandit and Tantric fool many innocent and unqualified people for their incomes. Even many highly educated people (Doctors or researcher) also believe in black magic or superstitious opinion. These people have mostly family problem or health problem. But, for solving their problem, they go to Tantric. As result, their problems become more worst if they do not cure it in proper ways in time. I have heard some spiritual speech of some Sants like Babuji (Ahmedabad Ashram) etc. They encourage their follower to avoid educational study or scientific study in compare to spiritual knowledge (Brahm Vidya). They says normally in their satsang that "Rich people dies more because of over-eating and poor people dies much low (due to hunger) as compare to rich population because Almighty (God) manage foods for all living life on this earth." But I believe that many hundred Indian farmer or poor people are dying because of poverty daily. I am not against any Spiritual Guru. But, I want to say that meditation is also a Science. You can not find God (spiritual power) without proper knowledge of meditation. I suggest to all Indian that they should read science deeply for knowing everything about nature and human bodies. I believe that scientific knowledge of foreigner bachelor students is much higher than Indian university professors (PhD holder). Even, in MSc or Phd Classes, some lecturers do not teach their course probably. Mostly Indian students just mimic their syllabus course before exams for getting good marks in paper. As a result, the scientific knowledge of Indian student is much low as compare to students of developed countries. It gives result that new degree holder Indian students do not have any tendency to develop new concept in business model or scientific inventions as compare to America. I do not feel any surprised that why not any Indian student had never started any new companies like Apple, Google or Facebook after passing out their degree (Totally Original Concept). Reason is clear that our degree course is much outdated and Indian student limit their knowledge to their course books just. I have seen many Tantric in real life in my childhood. If I got proper spy gadgets, I will try to upload their videos on some social websites for creating awareness among all innocent Indian. In India, you can found many “Mata ki chokies” or Hanuman sidhi holder people in each cities or villages. Some can have real spiritual power due to active seventh charka. But, many thousand people in one Indian State can not claim to retain such spiritual power (As, it require much honesty and disciplines), so they are just pretending to get such spiritual powers. So, I suggest all people to solve their problem by consulting better specialist (like Doctor or Consultant) rather than such Tantric. 

Thursday, January 5, 2012

2012 के लिए दस भविष्यवाणियां...!!!



1. अपनी सीमाओं और ज्यादा सकारात्मक समीक्षा नहीं मिलने के बावजूद सितम्बर में प्रस्तुत किया गया अमेज़न का द किंडल फायर शीर्ष बिक्री उत्पाद बन गया। भविष्य में सॉफ्टवेयर में किए जाने वाले सुधारों के द्वारा ज्यादातर कमियों को दूर कर लिया जाएगा। 2012 में अमेज़न किंडल फायर को यूएस से बाहर अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में पेश कर देगा। एप्पल के आईपैड बाज़ार पर मौजूदा प्रभुत्व पर किंडल फायर कोई असर डाल पाए, ऐसा मुश्किल ही लगता है। यह कम-कीमत वाली 7” टैबलेट श्रेणी को पूरी तरह अधिगृहित कर लेगा।

2. गूगल के मुख्य कार्यकारी एरिक श्मिट ने हाल ही में कहा कि गूगल टीवी 2012 की गर्मियों तक ज्यादातर टेलीविज़नों में शामिल हो जाएगा। मैंने गूगल टीवी बॉक्स को कुछ समय तक इस्तेमाल किया है। मुझे यह उपकरण पसंद आया, लेकिन मेरे परिवार के लिए यह कुछ ज्यादा ही तकनीकी था। हाल ही में किया हनीकॉम्ब सुधार भी इसे तकनीकी रूप से सरल बनाने में ज्यादा मददगार साबित नहीं हुआ है। हो सकता है कि टीवी निर्माता गूगल टीवी के प्रकार्यों के कुछ हिस्से अपने हार्डवेयर में शामिल कर लें, मसलन ब्राउज़र या फिर बेहतर सर्च फंक्शन, लेकिन 2012 गूगल टीवी के अकेले चलने वाले डिजिटल मीडिया उपकरण के लिए आखिरी साल हो सकता है।

3. फेसबुक और ट्वीटर 2012 में दो अहम सोशल नेटवर्क बने रहेगें। गूगल+ के घटक विभिन्न गूगल उत्पादों में गहराई से समाहित किए जाएगें (जैसा कि पहले से ही गूगल सर्च और जीमेल के साथ किया जा चुका है) लेकिन गूगल+ के विशुद्ध रूप से “सोशल नेटवर्क” बनने की संभावनाएं कम ही हैं।

4. गूगल क्रोम का विकासक्रम लगातार जारी रहेगा और 2012 तक इसके दुनियाभर में सबसे ज्यादा मशहूर वेब ब्राउज़र बनने की संभावना है। हम कदाचित मोबाइल फोन के लिए भी क्रोम का एक संस्करण देख सकते हैं, लेकिन मोजिला के लिए रास्ता कठिन होगा, जो संभावित तौर पर फायरबॉक्स पर बिंग को डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट के साथ सर्च डील में प्रवेश कर सकता है।

5. सीरी और ज्यादा बेहतर होगा और इस बात की पूरी संभावना है कि एप्पल अन्य उपकरणों में भी इसे उपलब्ध कराएगा, जैसे आईपैड और आईपॉड। एप्पल 2012 में एक एपीआई (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) भी प्रस्तुत कर सकता है, जो बाहरी विकासकों को सीरी को इनकी आईओएस एप्लीकेशन्स में शामिल करने का मौका देगा। अपनी आवाज़ के इस्तेमाल से आईओएस उपकरण में मोनोपोली गेम खेलने की कल्पना तो कीजिए।

6. एडोबी, मोबाइल उपकरणों में एडोबी फ्लैश के विकास को रोक रहा है, जिसका निश्चित तौर पर उसके डेस्कटॉप बाज़ार में इस एप्लीकेशन के प्रसार पर असर पड़ेगा। सामग्री रचनाकार (कंटेन्ट क्रिएटर्स) जाहिर तौर पर ऐसे प्रारूप को पसंद करेगें, जो बहु-उपकरणों में काम कर सके। एचटीएमएल5 का 2012 में विस्तार होगा।

7. विंडो 8, 2012 में उपलब्ध हो जाएगा। संस्करण 8 को एक टैबलेट-सेंट्रिक ओएस की तरह देखा जा रहा है और लोग विंडो 7 से खुश हैं, लिहाज़ा कई मौजूदा विंडो उपयोगकर्ताओं को इसमें किसी तरह का सुधार देखने में देरी हो सकती है।

8. भारत में सभी श्रेणियों के एंड्रॉयड-आधारित मोबाइल फोनों की हिस्सेदारी में लगातार प्रगति होगी, जबकि मध्य-श्रेणी के ब्लैकबेरी उपकरण युवा लोगों के बीच लोकप्रिय रहेगें, विशेष तौर पर मैसेन्जर सर्विस के कारण। अपने ऊंचे दामों के कारण आईफोन्स लालसा की वस्तु होगें, जबकि विंडो फोन आखिरकार 2012 में एक प्रतियोगी के रूप में देखे जाएगें।

9. वो प्रचार के लिए ज्यादातर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन भारत के कुछ मीडिया हाउस आखिरकार 2012 में ऑनलाइन वितरण का प्रयोग कर सकते हैं। मैं समझता हूं कि कुछ फिल्में, चाहे वो ऑनलाइन विज्ञापनों द्वारा या फिर यूट्यूब रेंटल जैसी सेवाओं द्वारा सहायता प्राप्त हों, वो देशभर के मल्टीप्लेक्सेस की तरह ऑनलाइन भी देखी जा सकेगीं।

10. अमेज़न अगले साल भारतीय बाज़ार में प्रवेश कर रहा है। इससे ऑनलाइन खरीदारी का परिदृश्य महत्वपूर्ण रूप से सुधर सकता है। कंपनी अकेले ये जिम्मा उठा सकती है या फिर किसी मौजूदा कंपनी को हासिल करने का प्रयास करेगी, लेकिन दोनों ही सूरतों में, नई-नवेली कंपनियों के लिए अमेज़न जैसे बड़े खिलाड़ी के साथ प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल होगा, जिनके पास खूब पैसा है और वो लंबे समय तक अपेक्षाकृत कम लाभ वहन कर सकती हैं।
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